कभी जात के नाम पर, कभी धर्म के नाम पर..
कभी मस्जिद के नाम पर, कभी मंदिर के नाम पर..
कभी अगड़े के नाम पर, कभी पिछड़े के नाम पर..
कभी गरीबी के नाम पर, कभी नौकरी के नाम पर..
कभी भाषा के नाम पर, कभी इलाका के नाम पर..
औरी नहीं तो तरक्की के नाम पर, कुछ नहीं तो देश के नाम पर..
मरने वाले हम, राज करने वाले वों..
हमे बाट कर बना लिया एक जात अपना....इन्हे याद रखना, ये हैं वो....
पर इनके तमाशे में न फसना, फ़साना बदलेगा
चलो संत " श्रीश्री " वीर के साथ ज़माना बदलेगा....जयहिंद ....जय गुरुदेव !!
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